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🏰 मुगल काल की शान: लाल किले की अनसुनी कहानियाँ


भारत के ऐतिहासिक स्मारकों में से एक, लाल किला (Red Fort) सिर्फ एक किला नहीं, बल्कि मुगल साम्राज्य की शान और वैभव का प्रतीक है। शाहजहाँ ने इस भव्य दुर्ग का निर्माण 17वीं सदी में करवाया था, जब उसने राजधानी को आगरा से दिल्ली स्थानांतरित किया। लाल बलुआ पत्थर से बना यह किला न केवल वास्तुकला का अद्भुत नमूना है, बल्कि इसके भीतर कई ऐसी अनसुनी कहानियाँ छिपी हैं जो आज भी रहस्य बनकर लोगों को आकर्षित करती हैं।

🔶 1. नहर-ए-बहिश्त (स्वर्ग की नहर)


लाल किले के अंदर एक सुंदर नहर बहती थी जिसे “नहर-ए-बहिश्त” कहा जाता था। यह नहर यमुना नदी से जल लेकर महल के विभिन्न हिस्सों में बहती थी। कहा जाता है कि यह नहर महलों को ठंडा रखती थी और उसमें पानी के साथ फूल बहाए जाते थे।

🔶 2. रंग महल और उसका रहस्य


रंग महल मुग़ल बेग़मों का खास निवास स्थान था। इसकी दीवारों पर की गई नक्काशी और शीशे का काम इतना बारीक था कि मोमबत्ती की रोशनी में पूरा कमरा चमक उठता था। कहते हैं यहां एक गुप्त तहखाना भी था जहाँ खजाना और कीमती दस्तावेज़ रखे जाते थे।

🔶 3. छिपी हुई सुरंगें


लाल किले में मौजूद कुछ हिस्सों तक आम जनता की पहुँच नहीं है। लोककथाओं के अनुसार, यहां से चांदनी चौक या यमुना नदी तक जाने वाली सुरंगें थीं, जिन्हें संकट के समय भागने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था।

🔶 4. ब्रिटिशों का दखल और नुकसान


1857 की क्रांति के बाद जब अंग्रेजों ने किले पर कब्जा किया, तो उन्होंने इसके कई हिस्सों को तोड़ दिया। खासतौर पर दीवान-ए-आम और दीवान-ए-खास को काफी नुकसान पहुंचाया गया। किले की मूल शान आज भी पूरी तरह वापस नहीं आ सकी है।

📜 निष्कर्ष
लाल किला सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि भारत के गौरवशाली अतीत की जीवित झलक है। इसकी दीवारों के भीतर छिपी ये अनसुनी कहानियाँ आज भी हमें मुग़ल काल की भव्यता और रहस्यों की याद दिलाती हैं।

 

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