बुलंद दरवाज़ा: फतेहपुर सीकरी की शान और मुग़ल भव्यता का प्रतीक

भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा जिले में स्थित फतेहपुर सीकरी, मुग़ल काल की अद्वितीय वास्तुकला का सजीव प्रमाण है। इस ऐतिहासिक नगर की सबसे भव्य और प्रसिद्ध संरचना है बुलंद दरवाज़ा, जिसे अकबर के गौरव और उसकी विजय के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यह दरवाज़ा न सिर्फ अपनी ऊँचाई के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्त्व भी इसे भारत की धरोहरों में एक विशेष स्थान दिलाता है।

तिहास की बुलंदी

बुलंद दरवाज़ा का निर्माण मुग़ल सम्राट अकबर ने वर्ष 1601 ई. में कराया था। यह दरवाज़ा गुजरात विजय के उपलक्ष्य में बनवाया गया था, जब अकबर ने अहमदनगर को जीतकर अपनी सत्ता को और भी व्यापक कर लिया था। ‘बुलंद’ शब्द का अर्थ है ‘उच्च’ या ‘महान’, और यह दरवाज़ा सच में अपने नाम को सार्थक करता है।


वास्तुकला की भव्यता

बुलंद दरवाज़ा लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से निर्मित है। इसकी ऊँचाई ज़मीन से लगभग 176 फीट (54 मीटर) है, जिससे यह भारत का सबसे ऊँचा दरवाज़ा माना जाता है। इसमें 42 सीढ़ियाँ चढ़ने के बाद प्रवेश द्वार तक पहुँचा जा सकता है। दरवाज़े के चारों ओर की नक्काशी और कुरान की आयतें इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को दर्शाती हैं।

इसके मुख्य द्वार पर फारसी में खुदा हुआ एक शिलालेख बहुत प्रसिद्ध है, जिसमें अकबर की धार्मिक सहिष्णुता और जीवन-दर्शन की झलक मिलती है:

“इस दुनिया की ज़िंदगी केवल एक क्षणिक सुख है, असली जीवन परलोक का है।”


धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक

अकबर ने इस दरवाज़े को केवल विजय का प्रतीक ही नहीं, बल्कि अपने विचारों और धार्मिक सहिष्णुता के संदेश को फैलाने के उद्देश्य से भी बनवाया था। फतेहपुर सीकरी में स्थित सलीम चिश्ती की दरगाह और बुलंद दरवाज़ा, दोनों मिलकर यह संदेश देते हैं कि मुग़ल शासन केवल शक्ति प्रदर्शन तक सीमित नहीं था, बल्कि उसमें आध्यात्मिकता और समावेशिता का भी गहरा स्थान था।


पर्यटन और आज का महत्व

आज बुलंद दरवाज़ा एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। देश-विदेश से लाखों लोग हर साल इसे देखने आते हैं। यूनेस्को ने फतेहपुर सीकरी को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है, जिससे इसकी ऐतिहासिक महत्ता को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है।


निष्कर्ष

बुलंद दरवाज़ा केवल एक प्रवेशद्वार नहीं, बल्कि इतिहास, वास्तुकला, धर्म और शक्ति का संगम है। यह दरवाज़ा मुग़ल सम्राट अकबर के साम्राज्य की बुलंदियों की याद दिलाता है और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता है कि कैसे कला, संस्कृति और आध्यात्मिकता को साथ लेकर महानता की ओर बढ़ा जा सकता है।

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