मध्य प्रदेश के छतरपुर ज़िले में स्थित खजुराहो का नाम सुनते ही पत्थरों में उकेरी गई अद्भुत मूर्तियों और भव्य मंदिरों की छवि सामने आ जाती है। ये मूर्तियां न केवल वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण हैं, बल्कि इनमें भारतीय समाज, संस्कृति और जीवन के विविध पहलुओं की झलक भी मिलती है। इनकी इतनी लोकप्रियता है कि यूनेस्को ने खजुराहो के मंदिरों को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है।
निर्माण का इतिहास
खजुराहो के मंदिरों और मूर्तियों का निर्माण 950 ईस्वी से 1050 ईस्वी के बीच चंदेल वंश के राजाओं ने करवाया। उस समय कला और संस्कृति अपने उत्कर्ष पर थी। शासकों का मानना था कि मंदिर केवल पूजा के स्थान नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू को प्रदर्शित करने का माध्यम भी होना चाहिए।
मूर्तियों की कलात्मकता
खजुराहो की मूर्तियां नागरा शैली की वास्तुकला पर आधारित हैं। लाल बलुआ पत्थर पर बारीक नक्काशी कर बनाई गई ये मूर्तियां मानो जीवंत प्रतीत होती हैं। इनमें —
देव-देवियों की प्रतिमाएं
गंधर्व और अप्सराएं
नृत्य करती युवतियां
पशु-पक्षी
प्रेम और जीवन के दृश्य
सभी का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है।
कहानियों में छिपे संदेश
खजुराहो की मूर्तियों में सिर्फ धार्मिक कथाएं ही नहीं, बल्कि जीवन के सामान्य और अंतरंग पहलुओं को भी दर्शाया गया है। कुछ प्रमुख विषय इस प्रकार हैं —
धार्मिक गाथाएं
विष्णु अवतार, शिव-पार्वती विवाह, महिषासुर मर्दिनी जैसे पौराणिक प्रसंग मूर्तियों में उकेरे गए हैं।
सामाजिक जीवन
खेती, संगीत, नृत्य, उत्सव और बाजार के दृश्य उस समय के समाज की जीवनशैली बताते हैं।
प्रेम और कामुकता
कुछ मूर्तियां कामसूत्र से प्रेरित हैं, जो यह दर्शाती हैं कि मध्यकालीन भारतीय समाज जीवन के भौतिक और आध्यात्मिक दोनों पक्षों को स्वीकार करता था।
प्रमुख मंदिर और उनकी मूर्तियां
कंदरिया महादेव मंदिर – शिव को समर्पित और सबसे विशाल मंदिर, जहां मूर्तियां ऊँचे शिखर से लेकर आधार तक फैली हुई हैं।
लक्ष्मण मंदिर – विष्णु के त्रिविक्रम रूप की भव्य प्रतिमा और शिल्पकला का उत्कृष्ट उदाहरण।
पार्श्वनाथ मंदिर – जैन धर्म से संबंधित मूर्तियां, जिनमें सूक्ष्म नक्काशी और सुंदरता का अद्भुत मेल है।
मूर्तियों का महत्व
इन मूर्तियों को देखने से पता चलता है कि खजुराहो केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि मानव जीवन का दर्पण है। हर मूर्ति में एक भाव, एक कहानी और एक संदेश छिपा है —
भक्ति का महत्व
प्रकृति के साथ तालमेल
प्रेम और सौंदर्य का सम्मान
कला और सृजनशीलता की सर्वोच्चता
खजुराहो यात्रा का अनुभव
जब आप इन मंदिरों के बीच चलते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे आप इतिहास की गलियों में प्रवेश कर गए हों। पत्थरों पर उकेरी गई हर आकृति आपके सामने जीवंत हो उठती है और आपको उस दौर की जीवनशैली, भावनाएं और मान्यताएं महसूस होती हैं।