
दिल्ली की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक कुतुब मीनार न केवल अपनी ऊँचाई और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके साथ जुड़ी कई रहस्यमयी और कम जानी-पहचानी बातें भी इसे खास बनाती हैं। यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त इस मीनार की कहानियाँ इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों को हमेशा आकर्षित करती हैं। आइए जानते हैं कुतुब मीनार से जुड़ी कुछ ऐसी रहस्यमयी बातें, जो बहुत कम लोग जानते हैं।
पहले यह मीनार एक हिंदू या जैन मंदिर का हिस्सा थी?
कुछ इतिहासकारों और पुरातात्विक शोधकर्ताओं का दावा है कि कुतुब मीनार उस स्थल पर बनाई गई थी जहाँ पहले एक हिंदू या जैन मंदिर हुआ करता था। इसके समर्थन में यह कहा जाता है कि कुतुब परिसर में कई ऐसे खंभे और नक्काशियाँ मौजूद हैं जिनमें देवी-देवताओं की मूर्तियाँ और संस्कृत शिलालेख मिलते हैं।
कुतुब मीनार के पास खड़ा है एक लोहे का खंभा जो कभी जंग नहीं खा
कुतुब मीनार के ठीक पास स्थित है एक 1600 साल पुराना लोहे का स्तंभ, जो चंद्रगुप्त द्वितीय के समय का बताया जाता है। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि यह खंभा आज तक जंग नहीं खाया, जबकि यह खुले आसमान में खड़ा है। वैज्ञानिक इसे प्राचीन भारतीय धातु विज्ञान का अद्भुत उदाहरण मानते हैं।
एक समय में मीनार पर चढ़ने की अनुमति थी
आज भले ही सुरक्षा कारणों से कुतुब मीनार की सीढ़ियों पर चढ़ने पर रोक है, लेकिन 1981 तक आम लोग इसके शीर्ष तक जा सकते थे। लेकिन एक दुर्घटना में कई छात्रों की मौत के बाद इसे हमेशा के लिए बंद कर दिया गया।
कुतुब मीनार की वास्तुकला में हैं कई परतें
कुतुब मीनार को एक ही बार में नहीं, बल्कि कई चरणों में पूरा किया गया था। इसकी पाँच मंज़िलें अलग-अलग समय में बनीं और हर मंज़िल की शैली थोड़ी अलग है – कहीं अरेबिक नक्काशी, तो कहीं फारसी शिलालेख। यह इसे एक अनोखा ऐतिहासिक स्मारक बनाता है।
निष्कर्ष
कुतुब मीनार सिर्फ एक मीनार नहीं, बल्कि भारत के इतिहास, धर्म, संस्कृति और स्थापत्य का संगम है। इसके साथ जुड़ी रहस्यमयी कहानियाँ इसे और भी आकर्षक बनाती हैं। अगर आप दिल्ली जाएँ, तो कुतुब मीनार को केवल देखना नहीं, महसूस करना न भूलें – क्योंकि इसके हर पत्थर में इतिहास छिपा है।