Khajuraho Temples: खजुराहो के मंदिर पत्थरों में बसी अनोखी कला और संस्कृति ? जानें सबकुछ……..

भारत की ऐतिहासिक धरोहरों में खजुराहो का विशेष स्थान है। मध्य प्रदेश के छतरपुर ज़िले में स्थित खजुराहो के मंदिर अपनी अद्भुत शिल्पकला, वास्तुकला और मूर्तिकला के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व धरोहर स्थल होने के कारण यहाँ हर साल लाखों देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं। पत्थरों में उकेरी गई कलाकृतियाँ यहाँ के कलाकारों की कल्पनाशीलता, कौशल और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाती हैं।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
खजुराहो के मंदिरों का निर्माण चंदेल वंश के शासनकाल (950 से 1050 ई.) के दौरान हुआ। उस समय बुंदेलखंड क्षेत्र कला, संस्कृति और स्थापत्य का केंद्र था। चंदेल शासकों ने इन मंदिरों के माध्यम से धार्मिक आस्था, प्रेम, जीवन और समाज के विभिन्न पहलुओं को पत्थरों में अमर कर दिया।

वास्तुकला की विशेषताएं
खजुराहो के मंदिरों की वास्तुकला नागरा शैली पर आधारित है। ऊँचे शिखर, तराशी हुई दीवारें और बारीक नक्काशी यहाँ की पहचान हैं। मंदिरों के बाहर और अंदर देव-देवियों, अप्सराओं, नृत्यांगनाओं, पशु-पक्षियों और रोजमर्रा के जीवन के दृश्यों की मूर्तियाँ उकेरी गई हैं।

इन मूर्तियों में अद्भुत संतुलन देखने को मिलता है — कुछ मूर्तियाँ धार्मिक कथाओं को दर्शाती हैं, तो कुछ जीवन के सांसारिक और प्रेमपूर्ण पहलुओं को।

प्रमुख मंदिर
खजुराहो में कुल 85 मंदिर थे, जिनमें से आज लगभग 25 मंदिर सुरक्षित हैं। इन्हें तीन समूहों में बांटा गया है —

पश्चिमी समूह – कंदरिया महादेव मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, मातंगेश्वर मंदिर

पूर्वी समूह – पार्श्वनाथ मंदिर, आदिनाथ मंदिर, घंटाई मंदिर

दक्षिणी समूह – दुलदेव मंदिर, चतुर्भुज मंदिर

कला और संस्कृति
खजुराहो की मूर्तियाँ केवल धार्मिक प्रतीक नहीं हैं, बल्कि वे मध्यकालीन समाज की सोच, रीति-रिवाज, फैशन और मान्यताओं का भी परिचय कराती हैं। विशेष रूप से प्रेम और कामुकता को दर्शाने वाली मूर्तियाँ इस बात का प्रमाण हैं कि उस समय जीवन के सभी पहलुओं को समान महत्व दिया जाता था।

खजुराहो नृत्य महोत्सव
हर साल फरवरी-मार्च में यहाँ खजुराहो नृत्य महोत्सव आयोजित होता है, जिसमें देश-विदेश के कलाकार शास्त्रीय नृत्यों की अद्भुत प्रस्तुतियाँ देते हैं। यह महोत्सव इन मंदिरों के प्रांगण में आयोजित होने से इसकी भव्यता और भी बढ़ जाती है।

कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग – खजुराहो एयरपोर्ट दिल्ली, वाराणसी और अन्य प्रमुख शहरों से जुड़ा है।

रेल मार्ग – खजुराहो रेलवे स्टेशन देश के कई शहरों से कनेक्टेड है।

सड़क मार्ग – बस और टैक्सी से सतना, झांसी, भोपाल आदि से आसानी से पहुँचा जा सकता है।

खजुराहो के मंदिर केवल पत्थरों में बनी मूर्तियाँ नहीं हैं, बल्कि वे भारत की कला, इतिहास और संस्कृति का जीवंत प्रमाण हैं। यहाँ की हर मूर्ति, हर नक्काशी एक कहानी कहती है — प्रेम, भक्ति और जीवन के गहरे अर्थों की।
यदि आप इतिहास, वास्तुकला और संस्कृति के प्रेमी हैं, तो खजुराहो की यात्रा जीवनभर का यादगार अनुभव हो सकती है।

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